ड्रैगन फ्रूट आजकल बहुत प्रसिद्ध हो रहा है। शुरुआत में, कुछ किसान ही इस फल की खेती करते थे, लेकिन अब देखा जा रहा है कि और भी किसान इसमें रुचि ले रहे हैं। भारत के कई राज्यों में इसकी खेती बढ़ रही है। शुरुआत में, किसानों को इसकी खेती के बारे में थोड़ी जानकारी थी, जिसके कारण ड्रैगन फ्रूट की खेती मुश्किल थी। अब सरकार भी इसे प्रोत्साहित कर रही है, इसलिए देश के कई हिस्सों में इसकी खेती में वृद्धि देखने को मिल रही है। इसकी खेती एक तरह की ऐसी है, जिसमें कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।
डॉ. बिप्लब दास, एक वैज्ञानिक, कहते हैं कि वहाँ ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ तापमान उच्च नहीं होता और नहीं बहुत कम, जैसे कि बीच-बीच के तापमान वाले क्षेत्र, वहाँ पर ड्रैगन फ्रूट की खेती अच्छी तरह से हो सकती है। इसके लिए बरसात का भी ध्यान रखना होता है।
किसान अब पारंपरिक फसलों के अलावा विभिन्न प्रकार के फल और सब्जियों की खेती कर रहे हैं ताकि उनकी आमदनी बढ़े। अधिकांश किसान अब अपने खेतों में फलों की खेती कर रहे हैं, जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है। ऐसी ही तरह, ड्रैगन फ्रूट की खेती भी भारत में तेजी से पॉपुलर हो रही है। इस फल की कीमत वर्गीय है, और यह 200 से 250 रुपये प्रति किलो तक हो सकती है। ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं, और यह वहाँ भी अच्छी तरह से उगता है जहाँ पर बारिश कम होती है। इस फल का इस्तेमाल जैम, आइसक्रीम, जैली, फ्रूट जूस, और वाइन बनाने में किया जाता है, साथ ही, इसका फेस पैक्स में भी उपयोग किया जाता है।
ड्रैगन फ्रूट की विभिन्न किस्में (Different Varieties of Dragon Fruit)
ड्रैगन फ्रूट मुख्यतः 3 प्रमुख किस्मों में पाई जाती है। इनमें सफेद ड्रैगन फ्रूट, लाल ड्रैगन फ्रूट, और पीला ड्रैगन फ्रूट शामिल हैं।
सफेद ड्रैगन फ्रूट (White Dragon Fruit)
इसके पौधे आसानी से मिलते हैं। फल का बाहरी रंग गहरे गुलाबी होता है। इस किस्म के फल का अंदरी भाग सफेद होता है, जिसमें काले छोटे बीज होते हैं। अन्य किस्मों की तुलना में इसकी कीमत कम होती है।
लाल ड्रैगन फ्रूट (Red Dragon Fruit)
इस किस्म के फलों का रंग गहरा गुलाबी होता है। इनके काटने पर अंदर का रंग भी गहरे गुलाबी दिखता है। बाजार में सफेद ड्रैगन फ्रूट की तुलना में इसकी बिक्री अधिक मूल्य पर होती है। इसका स्वाद भी अधिक लोकप्रिय है, जिसके कारण इसकी मांग भी अधिक होती है।
पीला ड्रैगन फ्रूट (Yellow Dragon Fruit)
पीला ड्रैगन फ्रूट भारत में काफी कम होता है। इसका बाहरी रंग पीला होता है, जबकि अंदर सफेद होता है। इस किस्म के फल सफेद और लाल किस्मों की तुलना में अधिक मीठे होते हैं, और इनकी बिक्री भी अधिक मूल्य पर होती है।
भारत में ड्रैगन फ्रूट की खेती की जाने वाली कुछ अन्य उन्नत किस्में ( Other Verities)
हमारे देश में कई और उन्नत किस्मों की ड्रैगन फ्रूट की खेती भी की जाती है। इनमें वालदीव रोजा, असुनता, कोनी मायर, डिलाईट, अमेरिकन ब्यूटी, पर्पल हेज़, ISIS गोल्डन यैलो, S8 शूगर, आउसी गोल्डन यैलो, वीयतनाम वाईट, रॉयल रैड, सिंपल रैड, आदि किस्में शामिल हैं। इनमें कुछ किस्में सफेद, कुछ लाल या पीले होते हैं। ये विभिन्न आकार और स्वादिष्टता के साथ होती हैं, और उनमें से कुछ किस्में आयताकार, कुछ गोल और कुछ लकड़दार आकार में होती हैं। ये उन्नत किस्में भारत में ड्रैगन फ्रूट की विविधता को बढ़ाती हैं और खेतीकरों को विभिन्न विकल्प प्रदान करती हैं।
इसके साथ ही, ड्रैगन फ्रूट का उपयोग विभिन्न रूपों में किया जाता है, जैसे कि जैम, आइसक्रीम, जैली, फ्रूट जूस, और वाइन निर्माण में। यह फल और भी सामग्री में उपयोग किया जाता है और इससे किसानों को अच्छा मुनाफा हो सकता है।
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ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए जलवायु (Climate for Dragon Fruit Cultivation)
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए ज्यादा बरसात की जरूरत नहीं होती है। यह फल 50 सेंटिमीटर बरसात और 20-30 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच अच्छी तरह से उग सकता है। मिट्टी की गुणवत्ता भी अधिक महत्वपूर्ण नहीं है, इसके बावजूद ड्रैगन फ्रूट की खेती संभावना से सफल हो सकती है।
खेती के लिए अधिक धूप की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन इसमें एक छाया योजना का उपयोग करना जरूरी होता है, ताकि फलों की खेती को सही ढंग से किया जा सके।
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए उपयुक्त भूमि (Suitable Land for Dragon Fruit Cultivation)
ड्रैगन फ्रूट के पेड़ों के लिए विशेष मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है, और आप इसे किसी भी प्रकार की ज़मीन पर उगा सकते हैं। हालांकि, बेहतरीन परिणामों के लिए डोमट, रेतिली डोमट, और बलुवाई मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती हैं ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए। फलने वाले पेड़ों के लिए तेजी से पानी निकालने वाली ज़मीन पर भी इसकी खेती की जा सकती है।
ड्रैगन फ्रूट की मिट्टी का पीएच (pH) स्तर 5.4 से 7 के बीच होना चाहिए, क्योंकि यह सायंटिफिक रूप से फल की अच्छी गुणवत्ता और खुशबू बढ़ावा देता है।
इसके अलावा, कम उपजाऊ भूमि या वाणिज्यिक जगहों पर जहां पानी की कमी हो सकती है, वहां भी ड्रैगन फ्रूट की खेती को सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
ड्रैगन फ्रूट की खेत की तैयारी (Dragon Fruit Field Preparation)
ड्रैगन फ्रूट की खेत की तैयारी के लिए, पहले खेत को ध्यानपूर्वक जुताना चाहिए, ताकि मिट्टी में मौजूद सभी खर पतवार साफ हो जाएं। जुताई करने के बाद, मिट्टी में जैविक कम्पोस्ट को समय-समय पर मिलाना चाहिए, जिसका अनुपात उपयुक्त हो
बीज की बिजाई (Sowing Seeds):
ड्रैगन फ्रूट के पौधों को उचित तरीके से बिजाने के लिए, बीज की बिजाई की प्रक्रिया को समझना महत्वपूर्ण है। इन पौधों को बीजों से बोए जाता है, और यह कई तरीकों से किया जा सकता है।
बीज की मात्रा (Quantity of Seeds):
प्रति एकड़ खेत में लगभग 1,780 पौधे बोए जा सकते हैं। इसके लिए आपको सही मात्रा में बीजों की आवश्यकता होगी, ताकि पौधे स्वस्थ और मजबूत हो सकें।
बीज का बिजाई उपचार (Seed Treatment):
ड्रैगन फ्रूट के बीजों को पूर्व-प्रक्रियित करने के लिए उपचार की आवश्यकता होती है। इसका उद्देश्य बीजों को कीटों और बीमारियों से बचाना होता है।
बीजाई का समय (Sowing Time):
ड्रैगन फ्रूट के पौधों को बोने का सही समय वर्षा के मौसम में होता है, आमतौर पर जून और जुलाई महीने में। अगर सिंचाई की व्यवस्था है, तो फरवरी-मार्च में भी बीज बोए जा सकते हैं।
फासला (Spacing):
ड्रैगन फ्रूट के पौधों के बीच की दूरी को ध्यानपूर्वक बनाना महत्वपूर्ण है। आamतौर पर पौधों के बीच 2 मीटर की दूरी रखनी चाहिए, ताकि पौधे पर्याप्त जगह प्राप्त कर सकें।
बीज की गहराई (Seed Depth):
पौधों को बोने के लिए गड्ढे की गहराई का महत्वपूर्ण होता है। आamतौर पर 60 सेमी x 60 सेमी x 60 सेमी के गड्ढे में पौधे बोए जाते हैं, ताकि वे अच्छी तरह से बढ़ सकें।
बिजाई का ढंग (Sowing Method):
ड्रैगन फ्रूट के पौधों को बोने का सबसे सामान्य तरीका है काट कर बोना जाता है। इन पौधों को सही गहराई में और उचित दूरी पर बोना जाना चाहिए।
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ड्रैगन फ्रूट की खेती के उर्वरक (Dragon Fruit Farming Fertilizer)
ड्रैगन फ्रूट के पौधों की सुखद विकास और उनके प्रत्येक सफल फसल के लिए उन्हें विशेष ध्यान और ऊर्जा की आवश्यकता होती है। एक पौधे की सही रूप से विकसने के लिए लगभग 10 से 15 किलोग्राम जैविक खाद या जैविक उर्वरक की आवश्यकता होती है। ड्रैगन फ्रूट की खेती में, पौधों के स्वस्थ विकास और उनके अधिक फसल देने के लिए जैविक खाद या उर्वरक का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
ड्रैगन फ्रूट के पौधों को सही रूप से देखभाल करने और उनके बेहतर विकास की दिशा में बढ़त देने के लिए, उन्हें पौधे पर पोटाश को अधिक मात्रा में और नाइट्रोजन को कम मात्रा में प्रयोग करना चाहिए।
सिंचाई की विवरण (Irrigation)
वर्षा के मौसम में सिंचाई (Irrigation During Rainy Season):
- वर्षा के मौसम में, सिंचाई की आवश्यकता आमतौर पर नहीं होती है। इस समय, पौधों को प्राकृतिक रूप से पानी मिलता है, जो उनके लिए पर्याप्त होता है।
ठंड के मौसम में सिंचाई (Irrigation in Cold Season):
- ठंड के मौसम में, 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करना फायदेमंद होता है। पौधों को सही से सींचने से वे स्वस्थ रूप से बढ़ सकते हैं।
गर्मी के मौसम में सिंचाई (Irrigation in Summer Season):
- गर्मी के मौसम में, 7 से 8 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करने से पौधों को पर्याप्त पानी उपलब्ध कराया जा सकता है, जिससे वे सुखा नहीं सकते।
ड्रैगन फ्रूट की खेती में होने वाले रोग एवं कीट (Diseases and Pests in Dragon Fruit Cultivation)
नाम | जानकारी | दवा | दवा की मात्रा |
---|---|---|---|
एंथ्रेक्नोज | ड्रैगन फ्रूट की खेती में कीटपतंगों का प्रकोप होता है। | Izumil Izumonas | 3ml/litre 5ml/litre |
थ्रिप्स | ड्रैगन फ्रूट की खेती में थ्रिप्स कीट का प्रकोप होता है। | Izumil Izumonas | 3ml/litre 5ml/litre |
मैन्कोजेब | ड्रैगन फ्रूट की खेती में एंथ्रेक्नोज कीट के खिलाफ इस्तेमाल हो सकता है। | Izunova Izuraid | 3ml/litre 2ml/litre |
एसीफेट | ड्रैगन फ्रूट की खेती में थ्रिप्स कीट के खिल | Izunova Izuraid | 3ml/litre 2ml/litre |
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ड्रैगन फ्रूट की पौधों की तुड़ाई का समय (Harvesting Time for Dragon Fruit Plants)
ड्रैगन फ्रूट के पौधों का पहला साल उनके फल उत्पादन की शुरुआत होती है। आमतौर पर, इसमें मई और जून के महीनों में फूल खिलते हैं, और फिर जुलाई से लेकर दिसंबर तक फल पकते हैं। फलों के आने के बाद, इनकी तुड़ाई की शुरुआत होती है।